परमाणु
परमणु अनेक कणो से मिलकर बना होता हे | जिनमे कुछ स्थाई व् अस्थाई कण होते हे | जिनमे इलेक्ट्रान , प्रोटोन और स्थाई मूल कण होते हे | इनके आलावा पॉज़िट्रान , पिमेट्रोन तथा न्यूट्रॉन अस्थार कण हे |
न्यूट्रॉन की खोज
वैज्ञानिक चैडविक ने एल्फा किरणों के प्रहार से न्यूट्रॉन की उत्पत्ति की न्यूट्रॉन का भार हाइड्रोजन के परमणु भार के बराबर होते हे
चैडविक ने बेरेलियन पर एल्फा किरणों का प्रहार करके न्यूट्रॉन की उत्त्पति की
जैसे =
रदर फोर्ड का नाभिक सिद्धांत
1 रदर फोर्ड ने सोना की परत पर एल्फा किरणों का प्रहार कराया कुछ कण परत को प्रहर कर गए इसे सिद्ध होता है परमाणु का अधिकांश भार खाली हे |
2 कुछ कण परत से टकराकर थोड़े से विपरीत हो जाते हे | इससे सिध्द होता हे की परमणु में ठोस भाग हे |
3 कुछ कण परत से टकराकर वापस लोट जाते हे इससे सिद्ध होता हे | की परमाणु में ठोस भाग स्थिर हे जिसे नाभिक कहते है|
नील्सबोर का परमाणु सिद्धांत
1 इलेक्ट्रान व्रतीये कक्षाओं में घूमता है |
2 इलेक्ट्रान घूमते समय ऊर्जा का उत्सर्जन था अवसिषण नहीं करता लेकिन एक इलेक्ट्रान एक कक्षा से दूसरी कक्षा में कूदते है | तो ऊर्जा का उत्सर्जन अवशोषण करता है | यदि पहली कक्षा की ऊर्जा और दूसरी कक्षा में ऊर्जा हो तो [ जहाँ H = पलाक नियतांक v = आवर्ती
हइड्रोजन वर्ग का अनिश्चित सिद्धांत
किसी भी गतिशील कण की स्थिति तथा वेग का एक निर्धारण नहीं किया जाता हे यदि स्थिति का सही निर्धारण किया जाये तो वेग अनिश्चित होता हे |
यदि स्थिति की अनिश्चता Δx और संवेग की अनिश्चता Δp हो तो
{ }
हुंड का नियम
हुंड के नियम के अनुसार जब तक युग्म प्रारम्भ नहीं होता हे जब तक प्रत्येक ऑर्बिटल में एक - एक इलेक्ट्रॉन हो जाये फिर इलेक्ट्रॉन का युग्म शुरू होता हे |
जैसे p5 → [ लिखना हे ]
उपकश |
इलेक्ट्रान |
कक्षक ( ऑर्बिटल ) |
s |
2 |
1 |
p |
6 |
3 |
d |
10 |
5 |
f |
14 |
7 |
क़्वांटम सख्या
क़्वांटम सख्या चार प्रकार की होते हे |
1 जिन संख्या द्वारा परमाणु में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा व् स्थिति का वर्णन किया जाता हे | इन्हे क़्वांटम संख्या कहते है|
मुख्य क़्वांटम संख्या
मुख्या क़्वांटम को n से प्रदर्शित करते हे | मुख्य क़्वांटम संख्या के इलेक्ट्रॉन के मुख्य ऊर्जा स्थिर को प्रदर्शित करते हे | किसी इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा उसके n के नाम पर निर्भर करती हे यह इलेक्ट्रॉन के नाभिक से औसत दूरी को भी बताती हे n के नाम इलेक्ट्रॉन के आकर को निर्धारित करता हे | जो कोष नाभिक के निकट होता हे उसके लिए n=1
n=1,2,3-------∞
मुख्या क़्वांटम सख्या kosh
1 k
2 L
3 M
4 N
दिगंशी क़्वांटम
दिगंशी क़्वांटम सख्या को l से प्रदर्शित करते हे |
दिगंशी क़्वांटम संख्या इलेक्ट्रान के कुछ ऊर्जा स्थिर को प्रदर्शित करते हे दिगंशी क़्वांटम पर संख्या n पर निर्भर करते हे |
l के नाम
o→ (n-1) फार्मूला
मुख्या क़्वांटम संख्या दिगंशी संख्या
(n) (l)
1 0
2 1
3 2
4 3
दिगंशी उपकोश
मुख्या क़्वांटम upkosh
0 ← s
1 ← p
2 ← d
3 ← f
चुम्बकीये क़्वांटम संख्या
चुम्बकीये क़्वांटम संख्या ऐसे n से प्रदर्शित करते हे | चुम्बकीये क़्वांटम उपऊर्जा स्थिर के ऑर्बिटल को प्रदर्शित करते हे m के नाम दिगंशी क़्वांटम संख्या l पर निर्भर करते हे |
किसी l के लिए m का मने -l से +l तक होता हे |
l m
0 0
1 -1,0,+1
2 -2,-1,0,1,2
3 -3,-2,-1,0,1,2,3
1 किसी l के लिए m के कुल मान की संख्या (2l+1) होते हे |
2 किसी n के लिए m का कुल मान (n2) होते हे |
चक्रण क़्वांटम संख्या
इसे s से प्रदर्शित करते हे | चक्रण क़्वांटम संख्या इलेक्ट्रॉन के चक्रण को प्रदर्शित करते हे |
इलेक्ट्रॉन के चक्रण की दिशा दक्षिण भारत या वामावृत्त हो सकती हे | किसी n के लिए s के मान +½ , -½ होते हे |
परमाणु क्रमांक
एक ऑर्बिटल में अधिकतम दो इलेक्ट्रॉन रह सकते है जिनके चक्रण की दिशा विपरीत दिशा होते है | आकृति की दृस्टि से परमाणु कक्षक चार प्रकार के होते है |
s → orbital
p → orbital
d → orbital
f → orbital
न्यूमेरिकल
आफबाहु का नियम
इस नियम के अनुसार इलेक्ट्रॉन निन्तम ऊर्जा वाले रिक्त ऑर्बिटल प्रवेश करते हे हाइड्रोजन परमाणु का नाभिये आवेश को क्रमश इकाई बड़ा कर और न्यूनतम ऊर्जा के खाली ऑर्बिटल में एक - एक इलेक्ट्रॉन पर हाइड्रोजन परमाणु से शुरू करके अणु के सभी परमाणु का विस्तृत इलेक्ट्रॉन विन्यास बनाया जा सकता हे |
डायग्राम
समस्थानिक
एक ही तत्व के परमाणु जिनका परमाणु क्रमांक सामान होता हे और परमाणु भर भिन्न - भिन्न होते हे समस्थानिक कहलाता हे |
1H1 1H2 1H3
समभारिक
ऐसे तत्व जिनका परमाणु भार सामान और परमाणु क्रमांक अलग - अलग होता है| समभारिक कहलाता है |
40 |
40 |
40 |
Ar |
k |
Ca |
18 |
19 |
20 |
सम्न्यूटरनिक
भिन्न - भिन्न तत्वों के वे परमाणु जिनकी नाभिक में न्यूट्रॉनों की संख्या सामान होती हे समन्यूट्रॉनिक संख्या कहलाता हे
समइलेक्ट्रॉनिक
वे परमाणु या आयतन जिनमे इलेक्ट्रोनो की संख्या सामान है| समइलेक्ट्रॉनिक कहलाता है |
जैसे = 11Na+ , 12Mg++ , 13Al++
11-10 , 12-2 , 13-3
10 , 10 , 10
प्रतिचुम्बकीय
वे परमाणु या आयन जिनमे अयुग्मती इलेक्ट्रॉन नहीं पाए जाते वे चुम्बकीये के प्रति आकृति होते है
जैसे = p6 = बनान है
प्रतिचुम्बकीय अयुग्मित ∈ की संख्या = 0
अनुचुम्बकीय पदार्थ
वे परमाणु या आयरन जिनमे अयुग्मित इलेक्ट्रॉन पाए जाते है अनुचुम्बकीय कहलाता है
p5 बनाना है
अयुग्मित की संख्या = 1
तत्वों का वर्गीकरण एक गुणधर्म में आवर्ती
तत्वों का सरल क्रमवर्त तरीके से वसत्वतीये करने पर कुछ वैज्ञानिक का महत्वपूर्ण योगदान रह है इनमे डोबरिनेर , नूलैंड , मान्डेफ प्रमुख है |
डोब्रिनर ट्रिप सिद्धांत
डोब्रिनर ने तीन तत्वों के समूह बनाये और बताया की पहले और तीसरे तत्व के वे परमणु भारो का औसत दूसरे तत्व के परमाणु भारो के बराबर होता है| इसे डोब्रिनर का सिद्धांत कहते है |
नूलैंड
नूलैंड ने बतया कोई भी तत्व अपने सगत आठ के तत्व के गन में सामन्तर रखता है इसे नूलैंड का नियम कहते है |
जैसे = Li , Be , B , C , N , O , F
Na , Mg , Al , Si , P , S , C l
यह सिद्धांत सभी तत्वों पर लागु नहीं हो सकता हे इसलिए यह असफल रहा है|
मंदीफ आवर्ती सरणी
तत्वों के भौतिक तथा रासयनिक गुण अनेक उनके परमाणु भरो के आवर्तित फलन होता हे |
आवर्ती के गुण
सारणी के क्षैतिज खानो की आवर्ती कहते हे |
पहले , दूसरे , तीसरे , आवर्त में तत्व की संख्या होने के आवर्त पर इन्हे लघु आवर्त कहते हे |
चौथे , पाँचवे , तथा छठे आवर्त में तत्वों की संख्या अधिक होने के आवर्त में इन्हे दीर्घ आवर्त कहते हे |
वर्ग
आवर्त सरणी में 9 समूह हे | इन्हे वर्ग भी कहते हे
1st , 2nd , 3rd , 4th ,5th , 6th , 7th
समूह 2 अर्ध्वदार कोमल द्वारा बने होते हे 1 से 7 समहू के इन उर्ध्वदार कोमल की उपवर्ग कहते हे | इन उपवर्ग को उपवर्ग A तथा उपवर्ग B कहते हे | ग्रुप 7 के बाद o ग्रुप आता हे
विधुत धनात्मक्त प्रकर्ति
किसी परमाणु की भरिक कक्षा में इलेक्ट्रॉन निकालने को प्रकर्ति को विधुत धनत्माक्त प्रकर्ति कहते हे | एक ही आवर्त में आने वाले तत्वों की विधुत धनात्मक्त प्रकर्ति घटती हे |
जैसे Li B B C N O F
विधुत ऋणात्मक प्रकृति
किसी भी परमाणु के बाहरी कक्षा में किसी इलेक्ट्रान घ्रहण करने की प्रकर्ति की विधुत ऋणात्मक कहते हे |
जैसे = Na Mg Al Si P S Cl
आयनन विभव
किसी भी परमाणु की बाहयी कक्षा से इलेक्ट्रॉन निकलने में वे व्यय ऊर्जा को आयनन विभव कहते हे | एक ही आवर्त में आने वाले तत्वों का आयनन विभव क्रमश घटता हे |
Li Be B C N O F
आयनन विभव क्रमश घटता हे |
Na Mg Al Si P S Cl
पाऊली का नियम
किसी परमाणु में दो इलेक्ट्रॉन की चारो क़्वांटम संख्या के मान एक सामान नहीं होते सकते हे |
यदि किन्ही दो इलेक्ट्रॉन n,l,m व् के मन एक समान हो तो s के मान हमेशा भिन्न - भिन्न होंगे अथार्थ एक इलेक्ट्रॉन के लिए s का मान -½ होगा |
पाऊली नियम के अनुप्रयोग
किसी मुख्या ऊर्जा स्थर में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्या 2n2
एक ऑर्बिटल में विपरित चक्रण के दो अधिकतम रह सकते हे |
मुख्य ऊर्जा स्थिर में कुल संख्या n के बराबर होती हे |
s उपुर्जा स्थिर में 2 इलेक्ट्रॉन
p उपुर्जा स्थिर में 6 इलेक्ट्रॉन
d उपुर्जा स्थिर में 10 इलेक्ट्रॉन
f उपुर्जा स्थिर में 14 इलेक्ट्रॉन